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न्यायपालिका का सम्मान कीजिये प्रधानमंत्री जी !

खट्टी-मीठी-खरी-खरी
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अभी कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संवाददाता सम्मेलन मे राहुल को काबिल और मोदी को विनाशकारी बताया और खुद के लिये उन्होने कहा कि अगले प्रधानमंत्री के रूप मे वो नही होंगे और एक असफल और कमजोर प्रधानमंत्री के आरोपों के लिये मीडिया और इतिहास उनके प्रति उदार रहेगा। बहुत खूब कह रहे हैं प्रधानमंत्री जी। राहुल की काबिलियत का आधार भी बता दीजिये क्योंकि आपने उनकी काबिलियत का आधार नही बताया लेकिन आपने यह जरूर बता दिया कि अगर मजबूत प्रधानमंत्री को मापने का पैमाना अहमदाबाद की सड्कों पर निर्दोष नागरिकों के जनसंहार की अनदेखी है तो प्रधानमंत्री महोदय नही मानते की देश को इस तरह के प्रधानमंत्री की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि २००२ के गुजरात दंगो में निर्दोष नागरिकों के जनसंहार की अनदेखी करने वाले को कोई मजबूत कहता है तो वह उससे सहमत नही हैं। बिल्कुल सही कह रहे हैं प्रधानमंत्री जी आप २००२ गुजरात दंगो और अहमदाबाद को तो याद रखते हैं लेकिन २००२ के गोधरा के निहत्थे राम भक्तों की बर्बर तरीके से जला कर मार डालने की घटना का जिक्र भी नही करते। १९८४ के दंगों को भी भूल जाते हैं सरदार मनमोहन सिंह और यदि वो कहते हैं कि अहमदाबाद के निर्दोषों की अनदेखी करने वाला व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री होगा तो विनाशकारी होगा और वह व्यक्ति विनाशक है तो अपने गिरेबाँ में भी झांकिये माननीय प्रधानमंत्री महोदय आप भी उसी कांग्रेस के तरफ से प्रधानमंत्री बनकर दस वर्षों से सत्ता सुख भोग रहे हैं जिस कांग्रेस ने १९८४ में सिखों का एकतरफा कत्ले आम कराया और कांग्रेस के ही अति उदार कहे जाने वाले प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि जब कोई बडा पेड गिरता है तो धरती हिलती है। उस समय भी धरती हिली नही थी खून से लाल हुई थी और नदी बही थी खून की। तो आपके कहे हुये पैमाने के आधार पर क्यों न आपको भी विनाशक और विनाशकारी प्रधानमंत्री कहा जाये ? गलत का साथ देने वाले को सदैव गलत ही कहा जायेगा। साम्प्रदायिकता अथवा किसी भी प्रकार की हिंसा का एक सभ्य समाज में कोई स्थान नही है । न्यायपालिका ने मोदी को दंगों के आरोप से बरी कर दिया है। लेकिन प्रधानमंत्री महोदय का ये बयान क्या अदालत की अवमानना नही है ? लेकिन अगर बात अदालत की अवमानना का ही है तो ये तो कांग्रेस का एतिहास रहा है कि वो अपने वोट की राजनीति के लिये कुछ भी कर सकती है, सर्व्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी केवल तुष्टीकरण की राजनीति के तहत बदल सकती है। शाहबानो मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है। अभी सुप्रीम कोर्ट के समलैन्गिकता पर दिये गये फैसले के विरोध में भी माननीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल, वित्त मंत्री चिदम्बरम, उमर अब्दुल्ला, मिलिन्द देवडा ईत्यादि ने अभद्र टिप्पडियां की जिसके लिये सुप्रीम कोर्ट ने अप्रसन्नता जाहिर करते हुये उन्हे भविष्य में ऐसा न करने के लिये आगाह किया। लेकिन क्या करें ये काँग्रेसी और कांग्रेसी मानसिकता के नेता, जब सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी खुद समलैंगिकता पर सर्व्वोच्च न्यायालय से अपनी भिन्न राय रखते हैं तो ये लोग तो “वंशवाद ही काबिलियत है” का अनुसरण करने के लिये विवष हैं और हों भी क्यों न आखिर इसी चारणगिरी की वजह से ही तो सत्ता का सुख भोग रहे हैं । स्पष्ट है कि काँग्रेस को न तो न्याय मे भरोसा है , न ही न्यायपालिका के प्रति कोई निष्ठा और न ही भारतीय मूल्यों मे आस्था। २००२ दंगों को रोकने में हुये देरी के अलावा मोदी पर कोई आरोप नही है और उन्हें उसमे भी पाक-साफ घोषित कर दिया गया। एक बडा मुद्दा कांग्रेस के हाथ से निकल गया मोदी को घेरने में। अब केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एक लडकी की जासूसी में मोदी को फसाने के लिये आयोग का गठन किया है। और वह भी तब जबकि कोई शिकायत ही नही है यहां तक कि जब लडकी के पिता का कहना है कि न तो कोई उत्पीडन हुआ है और न ही कोई महिला अधिकार का हनन ही हुआ है। यह आयोग लोक सभा चुनाव के समय अपनी जाँच रिपोर्ट सौंपेगा। कांग्रेस की मंशा जनता को स्पष्ट है । प्रधानमंत्री महोदय स्वतः संज्ञान लेते हुये इतनी तत्परता और उर्जा यदि आपने या आपकी सरकार ने अन्य मामलों में भी दिखायी होती तो रोज रोज “निर्भयाओं” का बलात्कार न होता, सरबजीत पाकिस्तान की जेल में निर्दोष न मरता, पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सैनिकों के सर काट कर न ले जा पाये होते, काश्मीर में भारत के झण्डे रोज रोज न जलाये जाते । मोदी आरोपमुक्त हो गये, आप उनके निर्दोष होने की चर्चा नही करेंगे, आप उनके विकाश करने की क्षमता पर चर्चा नही करेंगे, उनके सुशासन की चर्चा नही करेंगे, गुजरात में अल्पसंख्यकों की मजबूत स्थिति की चर्चा नही करेंगे, आप तो केवल अल्पसंख्यको में मोदी का भय दिखा कर अपना वोट बैंक सुरक्षित रखने की तरकीब ही सोचेंगे और विद्वेश के बीज ही बोयेंगे। कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत अन्तर है प्रधानमंत्री जी आप १०० दिनों में मंहगाई को काबू में कर रहे थे साढे चार साल बीत गये । क्या कर लिया आपने ? आप तो बहुत ही बडे अर्थशास्त्री हैं, कहां गया आपका अर्थशास्त्र का ज्ञान ? काँग्रेसी विचारधारा के समर्थक, नोबेल पुरस्कार विजेता, भारत रत्न से सम्मानित और गरीबों के अर्थशास्त्री के रूप में विख्यात अमर्त्य सेन भी आपकी मदद न कर सके ? जिस शास्त्र और शिक्षा का उपयोग समाज हित में न किया जा सके वो कूडे-कचरे से अधिक महत्वपूर्ण नही है। माननीय प्रधानमंत्री जी आप अपेक्षा करते हैं कि मीडिया और इतिहास आपके प्रति उदार रहेगा तो हो सकता है कि जो भी इतिहासकार या पत्रकार अपनी आँखें बंद करके आपका आंकलन करें वो आपको बेहद ईमानदार, महान और मजबूत प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित कर दें । लेकिन प्रधानमंत्री महोदय आपके ही एक केन्द्रीय मंत्री जिनको जेल भी हुई ने आपके उपर भी एक बडे घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाया है। इसकी भी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिये लेकिन सी बी आई से हो तो अब तो इसकी नि्ष्पक्षता भी काँग्रेस शासन मे संदिग्ध है और इसी को देखते हुये माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सी बी आई को “तोता” तक कह दिया। माननीय प्रधानमंत्री महोदय, टू जी स्पेक्ट्र्म घोटाला, कोयला घोटाला, आदर्श सोशाईटी घोटाला, जमीन घोटाला, राष्ट्रमंण्डल घोटाला जैसे बडे-बडे घोटालों और गंभीर भ्रष्टाचार मे आकंठ डूबी हुई काँग्रेस सरकार के बेबस और कमजोर प्रधानमंत्री, मुखिया और सरदार के रूप में भी इतिहास आपको जरूर याद रखेगा। सत्ता सुख की लालसा में दुर्योधन ने उन सभी लोगों को छ्ल, कपट और लोभ के द्वारा अपने पक्ष में कर लिया जिन्हे दुर्योधन अर्जुन के रथ को रोकने में जरा भी सक्षम समझता था। कर्ण, अश्व्स्थामा, द्रुपद और यहां तक की नारायण को छोड करके नारायणी सेना को भी अपने पक्ष में ले आया भीष्म, द्रोण तो पहले से थे ही। लेकिन हुआ क्या ? क्या कोई रोक सका अर्जुन के रथ को ? कांग्रेस पार्टी सपा, बसपा, राजद, जद्यू, बीजद, डीएमके, आम आदमी पार्टी इत्यादि के सहारे तुष्टीकरण की राजनीति, अल्पसंख्यकों में मोदी और भाजपा का भय, और युवाओं को गुमराह करके मोदी के रथ को रोकना चाहती है। प्रधानमंत्री महोदय, मोदी पर भ्रष्टाचार और घोटालों के कोई आरोप नही है। आप लाख चाहें आप मोदी को भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज और व्यभिचारी सिद्ध नही कर पायेंगे। काँग्रेस और उनके अन्य तथाकथित छद्म धर्मनिर्पेक्ष दल अल्पसंख्यक समुदाय को बहुत दिनो तक बरगला नही सकेंगे, और जिस दिन इस देश के युवाओं ने मीडिया और कांग्रेस के द्वारा रचित अन्य दलों की कथनी और करनी का अन्तर समझ लिया उस दिन उनकी पोल भी खुल जायेगी सब जानते हैं कि जिन भी लोगों ने या दलों ने काँग्रेस का विरोध किया वो सब एक दिन उसी काँग्रेस के साथ सत्ता का सुख भोगे। एक मात्र भारतीय जनता पार्टी ही ऐसी पार्टी है जिसने कभी भी काँग्रेस का समर्थन नही किया। जनभावनाओं के साथ किया गया ये धोखा और विश्वासघात जिस दिन जनता के समझ में आ गया उसी दिन ऐसे राजनीतिज्ञों राजनीतिक दल की दुकान भी बंद हो जायेगी। रही बात मोदी की तो वो भारतीय राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान हैं, भारत देश की संभावना हैं । प्रधानमंत्री पद के लिये मोदी मात्र भाजपा के ही नही वरन् भारत के अधिसंख्य आबादी की पहली पसंद हैं। भारत के सर्वांगीण विकास का रथ मोदी के हाथों में ही सुरक्षित रहेगा और अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर भारत को सशक्त राष्ट्र के रूप में पुनर्स्थापित करने मे निःसंदेह मोदी ही वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में एकमात्र सक्षम राजनीतिज्ञ हैं । माननीय प्रधानमंत्री महोदय आप बहुत फजीहत करा चुके हैं अपनी और इस देश की अब जाते-जाते कम से कम माननीय अदालत का तो सम्मान कीजिये ।
(दृगविन्दु मणि सिंह)

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